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सिर दर्द को लेकर हमें कब सतर्क हो जाना चाहिए?

सिर दर्द बेहद आम तकलीफ है. डॉक्टरों के पास मरीज यह तकलीफ लेकर खूब आते भी हैं. एक जमाने में जब सीटी-स्कैन, एमआरआई जैसी महंगी जांचें उपलब्ध नहीं थीं, तब भी सिर दर्द का निदान करना डॉक्टर के लिए उतनी ही बड़ी चुनौती थी और इन जांचों के बाद आज भी यह उतनी ही बड़ी चुनौती है. आज भी दसों मरीज उन जांचों का बड़ा-सा पुलिंदा उसी सिर पर लादे इस डॉक्टर से उस डॉक्टर के बीच भटकते हैं जिसके दर्द का निदान ये जांच नहीं कर सकीं. दरअसल, सिर दर्द को समझने के लिए डॉक्टर द्वारा मरीज की सिर दर्द कथा का धैर्यपूर्वक श्रवण तथा मरीज का बढ़िया क्लीनिकल चेकअप अत्यंत आवश्यक है. सीटी स्कैन आदि से प्राय: कोई दिशा नहीं मिलती. (हां, अचानक तेज सिरदर्द हुआ हो तब कई बीमारियां इन्हीं से पता चल पाएंगी.)

सिर दर्द स्वयं में कोई बीमारी न हो, ऐसा भी संभव है. सिर दर्द किसी और बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. उदाहरण के लिए नजरों का हल्का-सा भी कमजोर होना, रोज सिर दर्द की वजह हो सकता है. ‘हमारा तो बस 0.25 नंबर था, सो हम तो कभी चश्मा लगाते हैं, कभी नहीं लगाते’, या ‘हम तो लगाते ही नहीं’- ऐसा कहने वाले सिरदर्द के मरीज एमआरआई में हजारों रुपये फूंककर भी नहीं जान पाते कि गड़बड़ उनके चश्मा न लगाने की जिद में हैं. उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि ‘तनिक’ से नंबर का चश्मा न लगाने से भी कितना सिरदर्द हो सकता है. फिर आंखों का ‘अंदरूनी-प्रेशर’ बढ़ने की बीमारी, जिसे हम ‘ग्लूकोमा’ कहते हैं, भी एक ऐसी बीमारी है जो आम डॉक्टर द्वारा भी नजरअंदाज हो सकती है. लोग सिर दर्द की दवा खाते रह जाते हैं और बढ़ा हुआ यह प्रेशर आंखों में अंधापन तक पैदा कर सकता है. यदि सिर दर्द बना रहता है, तो किसी नेत्र विशेषज्ञ से आंखों के प्रेशर की जांच भी करवाना अत्यंत आवश्यक है.

फिर सिरदर्द, बुखार खासतौर पर डेंगू या किसी भी तेज बुखार का भी एक लक्षण हो सकता है. जुखाम, सायनोसाइटिस से लेकर दिमागी बुखार तक – सबमें सिर दर्द हो सकता है. दिमाग में ट्यूमर, मस्तिष्क में अचानक खून उतर आना आदि हैं तो बहुत विरले कारण, पर तेज सिर दर्द हो या कुछ दिनों से अचानक सिर दर्द होने लगा हो तो कारण ये भी हो सकते हैं. ये सब सेकंडरी सिरदर्द कहलाते हैं. मतलब यह कि सिरदर्द किसी और बीमारी के कारण है. इसे पकड़ने के लिए एक सतर्क डॉक्टर की आवश्यकता होती है जो जांच करवाने से ज्यादा मरीज की सुनने को तैयार हो. और मैंने यहां ब्लडप्रेशर का तो नाम ही नहीं लिया साहब!

जबकि हमें तो सिर दर्द हो तो हम सबसे पहले डॉक्टर से यही प्रार्थना करते हैं कि हमारा बीपी चेक कर दें, सर आज सिर दर्द हो रहा है. याद रहे कि प्राय: जब तक ब्लडप्रेशर का कोई कॉम्प्लीकेशन न हो रहा हो, हाई बीपी के कारण अकेला सिर दर्द मात्र बीस पच्चीस प्रतिशत बीपी के केसों में ही होता है. बीपी को हमने सिरदर्द और चक्कर से मन में कुछ ऐसा जोड़ लिया है कि इसको ही हाई बीपी का एकमात्र लक्षण मान बैठे हैं. ऐसा कतई नहीं है. जब तक बीपी बहुत ही ज्यादा न हो जाए, या बीपी के कारण दिमाग पर असर न आ रहा हो, सिरदर्द की समस्या बीपी के केसों में ऐसी नहीं होती.

अब आएं इस सिर दर्द पर जो बस, खुद होते हैं. ये कुछ सिर दर्द मात्र सिर दर्द ही होते हैं. वे स्वयं ही अपने आप में एक बीमारी हैं. ये प्रायमरी सिर दर्द कहलाते हैं. ये सिरदर्द किसी और बीमारी के लक्षण नहीं. इनकी अपनी ही हस्ती है. माइग्रेन, टेंशन, हेडेक, क्लस्टर हेडेक आदि ऐसे ही सिरदर्द हैं.

यहां माइग्रेन का नाम पढ़कर अचानक ही आप चैतन्य हो उठे होंगे. क्यों न होंगे – दसों बार सुना बड़ा लोकप्रिय नाम है. हमारे यहां हर सिरदर्द को, जो ठीक न हो रहा हो, जिसका ठीक से पता न चल पाया हो, उसे मरीज भी और प्राय: डॉक्टर भी माइग्रेन के खाते में डाल देते हैं. (माइग्रेन के बारे में हम कभी अलग से ही बात करेंगे. तब आप जानेंगे कि हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं होता) और इसी कारण, माइग्रेन की दवाइयां लेने से भी ठीक नहीं होता. माइग्रेन होगा, तभी माइग्रेन की दवा से ठीक होगा न? बहरहाल.

यहां आज हम सिर दर्द संबंधी एक महत्वपूर्ण तथा कभी-कभी जानलेवा स्थिति के बारे में बात करके इस बार की बात का समापन करेंगे. क्या है वह स्थिति? मान लें कि कभी, आपको सिरदर्द हो, तो क्या वे लक्षण होंगे जो इंगित करेंगे कि यह सिरदर्द किसी सीरियस स्थिति की तरफ इशारा कर रहा है. सिरदर्द को लेकर हमें कब सतर्क हो जाना चाहिए? कौन से ऐसे सिरदर्द हैं जो खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं?

निम्नलिखित सारे सिरदर्द खतरनाक हो सकते हैं. कभी आपको ऐसा हो, तो तुरंत ही किसी ढंग के डॉक्टर को दिखाइए :

1. यदि सिरदर्द इतना तेज हो जैसा इससे पहले, जीवन में, आपको कभी भी हुआ ही नहीं.

2. पहली बार सिर दर्द हो रहा है पर बहुत ही तेज सिरदर्द है.

3. यदि सिरदर्द के पहले उल्टियां हुई हों, फिर सिरदर्द आया हो.

4. सिरदर्द के साथ बेहोशी-सी लगे, शरीर का संतुलन बिगड़ रहा हो, जीभ लटपटाए, आवाज लड़खड़ाए, एक के दो दिखें.

5. यदि सिर का दर्द झुकने, खांसने, वजन उठाने से बढ़ता हो.

6. यदि सिरदर्द ऐसा हो कि आपकी नींद में व्यवधान डाले.

7. यदि रातभर ठीक से सोकर उठें और उठते ही तेज सिर दर्द होता हो.

8. यदि आपकी उम्र 55 वर्ष से ऊपर हो और यह सिर दर्द इस उम्र में आकर पहली बार हुआ हो.

9. यदि सिर दर्द के साथ कनपटी की नसों को छूने या दबाने पर उन नसों में और भी दर्द होता हो (वर्ना तो कनपटी दबाने पर सिरदर्द कम ही होता है.)

10. यदि सिर दर्द कुछ दिनों या सप्ताह से ही है और रोज-रोज बढ़ता ही जा रहा हो.

कभी उपरोक्त में से कुछ भी हो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. मामला गड़बड़ भी हो सकता है.