टीबी

विज्ञान-तकनीक | स्वास्थ्य समस्याएं

मुंह से खून आना सिर्फ टीबी का लक्षण नहीं है, तो फिर इसका मतलब और क्या-क्या हो सकता है?

मुंह से चाहे कुछ ही बूंद खून गिरा हो या इससे ज्यादा, हर हाल में इस पर डॉक्टर की राय लेना बेहद जरूरी है

सत्याग्रह ब्यूरो | 12 मार्च 2019 | फोटो: ट्विटर/स्वास्थ्य मंत्रालय, ओडिशा

कल्पना कीजिए कि कभी आपको खांसी आए और कफ के साथ खून की कुछ बूंदे दिख जाएं तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी? और जो कभी कफ में अगर बहुत सारा खून निकल आए तब? तब हो सकता है यह देखकर आपकी जान ही सूख जाए! या शायद न भी सूखे क्योंकि कई बार हम ऐसी स्थिति में खुद को ही समझाने या कहिए कि बेवकूफ बनाने लग जाते हैं. जैसे कि खून तो बस ‘यूं ही आ गया होगा.’ ऐसा खासतौर पर तब होता है जब कफ में खून के थोड़े से छींटे भर आए हों. तब हम आमतौर पर यह सोचने लगते हैं कि चलो बाद में देखते हैं कि यह फिर से आता है कि नहीं? हम सब नजरअंदाज कर देते हैं और उस दिन का इंतजार करते हैं जब कभी यदि फिर से खून गिरे तो फिर हम डॉक्टर के पास जाने के बारे में सोंचें.

लेकिन ऐसा इंतजार कभी-कभी महंगा भी साबित हो सकता है. यदि हम इसे मामूली बात मानकर डॉक्टर के पास जाना टाल जाते हैं तो बाज वक्त हम कभी फेफड़ों की टीबी या फेफड़ों के कैंसर जैसी कोई बहुत चिंताजनक बीमारी की इस चेतावनी को पकड़ पाने का अवसर चूक भी सकते हैं.

मैं तो आपको यही सलाह दूंगा कि मुंह से अगर थोड़ा-सा भी खून गिरे तो इसे चिंता का विषय ही मानिए और अपने डॉक्टर के पास जरूर जाइए. फिर उसकी सलाह के अनुसार सारी जांचें जरूर करा लीजिए. प्रायः तो ऐसे में डॉक्टर आपसे बस चंद खून की जांचें और छाती का एक एक्स रे करवाने के लिए ही कहेगा. हां, अगर मुंह से खून आये ही चला जा रहा हो, बार-बार आये तब तो फिर इस स्थिति को आप एक इमर्जेंसी ही मानिये. ऐसे में तो अपने सारे काम छोड़कर तुरंत ही डॉक्टर के पास भागें. कभी-भी खून को रोकने के लिए कोई घरेलू टोटका या इलाज करने न बैठ जाएं.

इससे भी बड़ी इमरजेंसी स्थिति वह कहलायेगी जब आपके मुंह से बहुत सारा खून गिर जाए. कफ में यदि खून की मात्रा कुल चौबीस घंटों में आधा पाव से लेकर आधा किलो तक हो गई है तो यह बेहद खतरनाक स्थिति है. यह जानलेवा भी साबित हो सकती है. ऐसे में प्रायः आपको तुरंत ही किसी अच्छे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होना होगा. ज्यादा ब्लीडिंग होने की स्थिति में इस बात का डर भी रहता है कि एक फेफड़े से निकल रहा खून कहीं दूसरे स्वस्थ फेफड़े की खुली हुई श्वास नलियों में न घुस जाए. तब ये नलियां खून से पूरी तरह चोक हो सकती हैं. ऐसा कुछ हुआ तो दूसरी तरफ का फेफड़ा अचानक ही काम करना बंद कर देगा और सांस घुटने के कारण अचानक ही मौत भी हो सकती है.

इसीलिए यह निहायत जरूरी है कि हम खांसी में खून आने की समस्या के बारे में कम से कम कुछ बुनियादी चीजें तो अवश्य जान लें. यह भी जान लें कि ऐसा खून गिरने पर क्या किया जाए और क्या न किया जाए?

तो आगे कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण बिंदु जान-समझ लें :

(1) मुंह से खून गिरे तो यह बात अवश्य नोट करें कि उसका रंग क्या है.वह सुर्ख लाल है, कत्थई है या लगभग काला. यदि आप ऐसा नोट करके अपने डॉक्टर को गिरे खून का ठीक-ठीक रंग बता देंगे तो डॉक्टर को यह तय करने में बड़ी मदद मिलेगी कि यह खून पेट से आ रहा है कि फेफड़ों से. दोनों ही स्थितियों में आगे की जांचें और आगे का इलाज एकदम अलग होगा. असल में फेफड़ों, मुंह, मसूड़ों और गले से निकला हुआ खून प्रायः सुर्ख लाल होता है. इसके ठीक विपरीत पेट से निकला हुआ खून आमाशय का एसिड से मिल जाने के कारण कत्थई या काले रंग का हो जाता है.

(2) यह भी तय करने की कोशिश करें कि यह खून उल्टी के साथ आया है कि खांसी के साथ. वैसे कई बार दोनों चीजें इस कदर मिलीजुली-सी होती हैं कि समझ ही नहीं आता. फिर भी देखने की कोशिश तो जरूर ही करें.याद रखें कि खून के साथ हमें यदि भोजन के कुछ टुकड़े भी दिख रहे हैं तो हम मानेंगे कि यह खून उल्टी में आया है. तब यह खून पेट से आया माना जाएगा. इसके विपरीत यदि खून के साथ केवल कफ दिख रहा है तो शुरुआती तौर पर इसे फेफड़ों से निकला हुआ माना जा सकता है. अगर आपने यह सब नोट किया है तो डॉक्टर को जरूर बताएं. इस सूचना से भी डॉक्टर को बहुत मदद मिलेगी.

(3) ठीक से अनुमान लगाएं कि आखिर कितना खून निकला होगा. डॉक्टर के तौर पर मेरा अनुभव है कि यह छोटी-सी लगती बात प्रायः कोई भी मरीज ठीक से नहीं बता पाता. कभी मरीज इसकी मात्रा बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताता है (जैसे कि – साहब, आधी बाल्टी के करीब तो गिर ही गया होगा) या फिर बहुत कम करके बताता है (जैसे कि – अरे सर, बस ऐसे ही, थोड़ा सा, जरा सा, बस ऐसे मानिये). इन स्थितियों में डॉक्टर भ्रम में पड़ जाता है. वह ठीक से आगे की जांच और इलाज तय कर सके इसके लिए यह जरूरी है कि आप उसे गिरे हुए खून की मात्रा भी ठीक से बताएं. मैं तो कहूंगा कि आप अपने मोबाइल से उसकी फोटो खींचकर ले जाएं. डॉक्टर को इससे आसानी हो जाएगी. इससे वह गिरे हुए खून का रंग भी देख लेगा और मात्रा भी समझ लेगा.

(4) डॉक्टर को यह भी बताएं कि खांसी में खून आने के अलावा आपको और क्या-क्या तकलीफें हो रही हैं. सब बताएं. प्रायः हम मुंह से खून गिरने के कारण इस कदर घबरा जाते हैं कि बाकी बातें बताने से रह जाती हैं. आप याद करके सब कुछ पूरा-पूरा बताएं. इससे डॉक्टर को खून गिरने के कारणों को समझने में बड़ी मदद मिलेगी. जैसे कि यदि आपको खून गिरने के साथ छाती में दर्द भी है तो यह निमोनिया अथवा पल्मोनरी इम्बोलिज्म का लक्षण हो सकता है. यदि खांसी और बलगम है और खखार बदबूदार है तो फेफड़ों में फोड़ा (lung abscess) इस खून का जिम्मेदार हो सकता है. खकार की मात्रा, उसका रंग (पीला या सफेद), उसमें कोई बदबू – सब नोट करें और डॉक्टर को जरूर बताएं.

(5) अपनी पुरानी बीमारियों के बारे में भी डॉक्टर को जरूर बताएं. पुरानी बीमारियों का भी आज के इस खून गिरने से सीधा संबंध हो सकता है. यदि आपका पहले कभी टीबी का इलाज हो चुका हो या कभी किसी भी तरह का किसी कैंसर का इलाज हुआ हो या पहले भी कहीं से भी खून गिरा हो तो इन सबका संबंध आज के खून गिरने से जरूर हो सकता है.

(6) ऐसा कभी न मानें कि खांसी में खून आने का मतलब बस टीबी ही है. वहीं इसके फेफड़ों की बीमारी से अलग कारण भी हो सकते हैं. यहां तक कि दिल की बीमारियों के चलते भी ऐसा ही खून गिर सकता है. दिल में माइट्रल वॉल्व के सिकुड़ने के कारण या दिल की पल्मोनरी हाइपरटेंशन नाम की बीमारी के कारण भी ऐसा हो सकता है.

(7) याद रहे कि खांसी में खून का आने के दसों कारण निकल सकते हैं. सारी जांचों के बाद यह कोई साधारण सी बीमारी निकल सकती है, या फिर कोई अत्यंत गंभीर बीमारी भी. ब्रोंकाइटिस नाम की सामान्य बीमारी के कारण भी खून गिर सकता है और फेफड़ों की टीबी, कैंसर, निमोनिया, फेंफड़े के फोड़े, दिल के वॉल्व में गड़बड़ी आदि गंभीर बीमारियों में भी यह हो सकता है. कभी-कभी तो कुछ पैदाइशी बीमारियां, जिनमें खून ठीक से नहीं जमता या फिर कोई ब्लीडिंग से जुड़ी पैदाइशी बीमारी हो तो उनमें भी इसी तरह मुंह से खून गिर सकता है. दरअसल, मुंह से खून गिरने का दृश्य इतना व्यापक है कि जब तक जांचों द्वारा डॉक्टर आपको उसका कारण न बता दे आप स्वयं अंदाज से कुछ ना करें.

(8) क्या जांचों द्वारा हमें इस बात का उत्तर मिल जाएगा कि खून कहां से आ रहा था और बीमारी क्या है? यह हमेशा तो संभव नहीं है. मेडिकल साइंस की भी अपनी सीमाएं हैं. ऐसा मान लीजिए कि समस्त जांचों के बाद भी लगभग 30% केसों में तो पता ही नहीं चल पाता कि आख़िर खून आया कहां से होगा और बीमारी क्या है? ऐसे में आप अपने डॉक्टर को बेवकूफ न मान लें. यह मेडिकल साइंस की सीमा है.

(9) क्या आपको पता है कि ऐसा खून गिरना इस बात की निशानी भी हो सकता है कि आपको गुर्दे की कोई बीमारी है? जी हां, कोलेजन डिसऑर्डर से जुड़ी कुछ बीमारियां (जैसे कि एसएलई नाम की बीमारी) जिसमें जोड़ों, चमड़ी, बाल और किडनी पर एक साथ असर होता है, में भी ऐसा खून गिर सकता है.

इस पूरी चर्चा से आप कुल दो बातें अच्छे से समझ लें. पहली तो यह कि मुंह से खून गिरने के बहुत से कारण हो सकते हैं और दूसरी यह कि यदि ऐसे में डॉक्टर आपको बहुत सारी जांच करने को भी कहे तो जरूर करा लें. इसमें किडनी की जांच, ब्लड की कुछ महंगी जांचें, छाती का सीटी स्कैन, दिल की ईकोकार्डियोग्राफी आदि शामिल हो सकती हैं. इन्हें फालतू की जांचें न मान लें. हर डॉक्टर बेईमान नहीं होता. इन्हीं जांचों से आपकी बीमारी का पता चलेगा. मुंह से खून गिरना किसी गंभीर अंदरूनी बीमारी की एक बड़ी चेतावनी भी हो सकती है. इस चेतावनी को नजरअंदाज न करें.

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