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यह किस्सा बताता है कि कैसे शाहरुख खान ने शुरुआती दौर में ही अपनी काबिलियत पहचान ली थी

करण जौहर ने अपनी आत्मकथा ‘एन अनसूटेबल बॉय’ में तफ्सील से बताया है कि शाहरुख खान उनके लिए क्या थे, हैं और क्या बने रहेंगे. फिल्मी दुनिया का होने की वजह से स्टार किड्स से घिरे रहने के बावजूद दिल्ली से आकर बॉलीवुड के क्षितिज पर चमकने वाले इस ‘बाहरी’ सितारे से कैसे उनकी दोस्ती हुई, कैसे शाहरुख उनके बड़े भाई जैसे हुए और कैसे अकेले शाहरुख की वजह से वे फिल्म निर्देशक बने, यह सब और बहुत कुछ करण जौहर ने अपनी आत्मकथा में आत्मीयता से दर्ज किया [1] है.

लेकिन उनका दर्ज किया एक अनूठा किस्सा जाने-अनजाने इस अफवाह को सच साबित कर देता है कि संघर्ष के दिनों में भी शाहरुख खान थे एक खालिस सुपरस्टार ही! और अगर वे वैसे न होते, तो आज जैसे हैं वैसे न हो पाते.

बात उन दिनों की है जब रईस बच्चों की परवरिश पाने वाले करण जौहर दसवीं कक्षा का एक्जाम दे चुके थे और काम की तलाश में शाहरुख खान दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो चुके थे. इसी दौरान एक्जाम के बाद वाली छुट्टियों में करण जौहर की मां के पास लेखक-निर्देशक आनंद महेंद्रू का फोन आया (जिन्होंने बाद के वर्षों में ‘देख भाई देख’ सीरियल बनाया था) और चूंकि मुंबई में हर फिल्मी फैमिली दूसरी फैमिली से फैमिलियर होती है इसलिए उन्होंने हीरू जौहर से पूछा, ‘मेरे ख्याल से आपका बेटा बहुत मोटा है?’

हीरू जौहर ने छूटते ही कहा कि छुटपन का मोटापा है, छट जाएगा. आनंद महेंद्रू ने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा कि एक रोल के लिए उन्हें मोटे लड़के की जरूरत है, क्या वे अपने बेटे को उनके ऑफिस भेज सकती हैं. आनंद महेंद्रू उस समय ‘इंद्रधनुष’ (1989) नामक सीरियल बना रहे थे और इसी धारावाहिक के चलते एक-दूसरे से अंजान शाहरुख खान और करण जौहर पहली बार एक-दूसरे से मिले थे. यह एक ऐसी मुलाकात है जो शाहरुख को भी बरसों बाद याद रही, और करण ने भी न भूलते हुए उसे अपनी आत्मकथा में दर्ज किया. लेकिन जब यह मुलाकात हुई थी, तब दोनों में से किसी ने भी दूसरे से बात नहीं की थी!

अगले दिन करण जौहर ठीक 10 बजे आनंद महेंद्रू के दफ्तर पहुंच गए लेकिन तब तक यह निर्देशक एडिटिंग रूम में जा चुका था. एक सहायक ने आकर करण को उनकी लाइनें समझा दीं और तसल्ली दे दी कि थोड़ी देर में आकर आनंद महेंद्रू उनका ऑडिशन लेंगे. लेकिन बैठे-बैठे दोपहर के दो बज गए और इस दौरान एक नौजवान भी करण जौहर के ठीक सामने तसल्ली से बैठा रहा. सिगरेट के साथ कई कप कॉफी पीता रहा और क्रॉसवर्ड हल करने में व्यस्त रहा. अकेले होने के बावजूद, दोनों ने ही एक-दूसरे से बात करने की कोशिश नहीं की.

आखिरकार दो बजे महेंद्रू साहब एडिटिंग रूम से बाहर आए और सीधे उस नौजवान के पास जाकर इंतजार कराने के लिए माफी मांगी. लेकिन बिना वक्त गंवाए वो नौजवान बोला, ‘कोई नहीं, मैं तो आराम से अपना क्रॉसवर्ड कर रहा था. मैं आपको सिर्फ इतना कहने आया हूं कि मैं टेलीविजन नहीं करना चाहता’. आनंद महेंद्रू सकपका गए और हैरत में पड़ते हुए पूछा कि तुम चार घंटे से यहां सिर्फ यह बताने के लिए बैठे हो कि तुम मेरा सीरियल नहीं करना चाहते?

24 साल के उस लड़के ने जवाब दिया, ‘हां, मैं यह सीरियल नहीं करना चाहता. मैं अब फिल्मों पर फोकस करना चाहता हूं.’

थोड़ी देर बाद बात खत्म करके आनंद महेंद्रू करण जौहर से मिले और यह पहचानने के बाद कि वे यश जौहर के ही बेटे हैं उन्हें साथ आने को कहा. लेकिन रास्ते में करण से ज्यादा वे उस लड़के के बारे में बात करते रहे जिसने चार घंटे इंतजार करने के बाद उन्हें इंकार किया था, ‘इन लड़कों को देखो, न जाने खुद को क्या समझते हैं. तुम जानते हो इस लड़के को? ये शाहरुख खान है. ये ‘फौजी’ (1989) में था लेकिन गुड-लुकिंग तक नहीं है. मेरी नजर में एक लड़का है जॉन गार्डनर. मैं उसका नाम बदलकर अक्षय आनंद रख रहा हूं और वही मेरे सीरियल में हीरो बनेगा. शाहरुख से तो बहुत बेहतर है वो.’

बाद में चलकर अक्षय आनंद न सिर्फ ‘इंद्रधनुष’ नामक सीरियल में अभिनेता बने, बल्कि देव आनंद ने उन्हें अपनी फिल्म ‘हम नौजवान’ में ब्रेक दिया और ‘छोटी मां’ जैसे धारावाहिकों में काम करने के अलावा उन्होंने ‘गुलाम’ और ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ जैसी कई फिल्मों में कैरेक्टर रोल निभाए.

वहीं शाहरुख खान करोड़ों दिलों पर राज करते चले गए और सुपरस्टार कहलाए.

(‘एन अनसूटेबल बॉय’ का प्रकाशन जनवरी 2017 में पेंग्विन इंडिया ने किया है)