मनुष्य की क्रूरता पाशविक क्रूरता से कहीं अधिक व्यापक और गहरी है
शब्द और संसार में आस्था लेखक की ‘हारी होड़’ होती है
अशोक वाजपेयी | 17 अप्रैल 2022
दो आंखों से हम जो देखते हैं वह पर्याप्त सचाई नहीं है
शब्द और संसार में आस्था लेखक की ‘हारी होड़’ होती है
दो आंखों से हम जो देखते हैं वह पर्याप्त सचाई नहीं है