जो मांसाहार को अहिंदू और अभारतीय मानते हैं वे इस बारे में कम जानते हैं
दो आंखों से हम जो देखते हैं वह पर्याप्त सचाई नहीं है
अशोक वाजपेयी | 10 अप्रैल 2022
शब्द और संसार में आस्था लेखक की ‘हारी होड़’ होती है
दो आंखों से हम जो देखते हैं वह पर्याप्त सचाई नहीं है
शब्द और संसार में आस्था लेखक की ‘हारी होड़’ होती है